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गेहूं की कीमत

दूध-गेहूं की भरमार, कीमतें पहुंच से पार

दूध-गेहूं की भरमार, कीमतें पहुंच से पार

गेहूं के स्टाक की बात करें तो जरूरत से तीन गुना है। दूध की भी कमी नहीं लेकिन कीमते हैं कि गिरने का नाम नहीं ले रहीं। डिमांड और सप्लाई के फार्मूले पर गौर करें तो यह बात स्पष्ट होती है कि यदि बाजार में किसी वस्तु की आवक या स्टाक ज्यादा होगा तो कीमतें गिरेंगी। सरकार दूध और गेहूं की कीमतें नियंत्रित करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। 

मीडिया रिपोर्ट्स में लगातार पाकिस्तान में प्याज, आटा, लहसुन आदि की कीमतें तो बाताई जा रही हैं लेकिन भारत के गांवों से 30-35 रुपए लीटर कढ़ने वाला दूध 55 रुपए और किसानों से अधिकतम 1600 रुपए में खरीदा गया गेहूं 2000 के पार कई माह से क्यों बिक रहा है। उक्त् दोनों चीजें आम और हर दिन जरूरत वाली हैं। यातो सरकार के आंकड़े फर्जी हैैं या फिर कारोबारियों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। 

पिछले दिनों आई रिपोर्टों में यह बात सामने आई कि गेहूं के भण्डारों में जरूरत से तीन गुना ज्यादा गेहूं है। जरूरत 13 लाख मीट्रिक टन की है वहीं जमा 40 लाख के आसपास है। यह रेट आज से नहीं दो माह से भी ज्यादा समय से चल रहा है। फसल के समय किसान अपने जिंसों को औने पौने दाम में बेचता रहता है वहीं बिचौलियों के मोटे मुनाफे की मार आम आदमी पर पड़ रही है। दूध की बात करें तो वर्तमान में दूध का उत्पादन करीब 9 फीसदी कम रहा है। 

वित्तीय वर्ष 2018-19 मैं यह 18.6 करोड़ टन रहा। विदित हो कि अप्रैल से अगस्त तक दूध मांग को पूरा करने के लिए देश को डेढ़ लाख टन स्किम्ड दुग्ध पाउडर के भण्डार की जरूरत होती है जो अभी तक महज 40 हजार टन के करीब ही है। खुले बाजार में इसकी कीमतें 150 से 300 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि दूध की कीमतों में इजाफे का ज्यादा लाभ गांम में बैठे किसान को नहीं मिल रहा है। कंपनियां आकलन और अनुमान की बिना पर कीमतों को बढ़ाए हुए हैं। महंगाई का कारण मिल्क पाउडर का निर्यात भी माना जा रहा है। 

स्किम्ड मिल्क आयात की जरूरत  

 दूध की खुले बाजार में कीमतें नियंत्रित करने को कुछ बड़े दुग्ध उद्यमी स्किम्ड मिल्क आयात की बात का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ विरोध। विरोध इस लिए प्रासंगिक लगता है क्योंकि दूध की आवक के साथ ही पशुपालकों से खरीद सस्ती कर दी जाएगी।

गेहूं की बेकदरी का अनुमान  

 दिल्ली मण्डी में गेहूं की कीमत 2300 रुपए चल रही हैं। जानकार इसे गुजरे साल के मुकाबले 20 से 25 फीसदी ज्यादा मान रहे हैं। गोदामों से धीमी निकासी इसी तरह जारी रही तो अप्रैल माह में नए गेहूं की आवक की बेकदरी होना तय है।

गेहूं निर्यात पर रोक, फिर भी कम नहीं हो रहीं कीमतें

गेहूं निर्यात पर रोक, फिर भी कम नहीं हो रहीं कीमतें

नई दिल्ली। गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध (Wheat Export Ban - May 2022) के बावजूद भी घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें कम नहीं हो रहीं हैं। रोक के बाद 14 दिन में खुदरा बाजार में गेहूं की कीमत में महज 56 पैसे की गिरावट हुई है। उछलते वैश्विक दाम और गेहूं उत्पादन में कमी के चलते गेहूं की कीमतों में वृद्धि हुई है। भारत में 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था। उस वैश्विक बाजार में इसका भाव 1167.2 डॉलर प्रति बशल था। 18 मई को यह बढ़कर 1284 डॉलर प्रति बशल (27.216 रूपये प्रति किलो) तक पहुंच गया। हालांकि 25 मई को इसमें फिर गिरावट हुई। और 26 मई को इसकी कीमतें घटकर 1128 डॉलर प्रति बशल हो गईं। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है कि वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी आ रही है। इसके अलावा भारत में गेहूं उत्पादन में गिरावट भी महंगाई का मुख्य कारण है। वैश्विक बाजार में जब तक दाम नहीं घटेंगे, तब तक घरेलू बाजार में भी गेहूं के भाव में गिरावट की संभावना कम है।

अभी कुछ महीने और महंगाई के आसार

केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध कारण आपूर्ति प्रभावित होने से वैश्विक बाजार में तेजी है। भारत को थोड़ी राहत इसलिए है कि पिछले तीन-चार सालों से गेहूं उत्पादन बेहतर होने के कारण हमारे पास गेहूं का अच्छा भंडारण बन हुआ है। फिर भी गेहूं के सस्ते होने के लिए कुछ महीने और इंतजार करना होगा।

उत्पादन कम हुआ, मांग बढ़ी

- इस साल गेहूं का उत्पादन कम हुआ है, जबकि वैश्विक स्तर पर गेहूं की मांग ज्यादा बढ़ी है। देश मे गेहूं भंडारण पेट भरने के लिए ही काफी है।

गरम तवे पर छींटे सी राहत :

तारीख - 13 मई 2022, कीमत प्रति क्वांटल - 2334, कीमत प्रति किलो - 23.34 तारीख - 26 मई 2022, कीमत प्रति क्विंटल - 2278, कीमत प्रति किलो - 22.78 सस्ता - प्रति क्विंटल 56 पैसे

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◆ देश में इस साल गेहूं उत्पादन में 7-8% कई कमी की आंशका है।

◆ साल 2021-22 में 10.95 करोड़ गेहूं का उत्पादन हुआ है। 

 ◆ भारत 21 मार्च 2022 तक कुल 70.30 लाख टन गेहूं निर्यात (wheat export) कर चुका है। 

 ◆ वैश्विक स्तर पर 14 साल बाद गेहूं पर महंगाई हुई है। "मौजूदा हालात के चलते गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा। दुनियाभर में अनिश्चितता बनी हुई है, अगर ऐसे में हम निर्यात शुरू कर दें तो जमाखोरी की आशंका बढ़ सकती है। इससे उन देशों को कोई लाभ नहीं होगा, जिनको अनाज की बेहद जरूरत है। हमारे इस फैसले से वैश्विक बाजार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि वैश्विक बाजार में भारत का निर्यात एक फीसदी से भी कम है।"

श्री पीयूष गोयल भारत सरकार में रेलवे मंत्री तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हैं (Shri Piyush Goyal Commerce minister)

- पीयूष गोयल, केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री (फोटो सहित)


लोकेन्द्र नरवार

 
विपक्ष ने गेहूं संकट पर पूछा सवाल, तो केंद्रीय मंत्री तोमर ने दिया ये जवाब

विपक्ष ने गेहूं संकट पर पूछा सवाल, तो केंद्रीय मंत्री तोमर ने दिया ये जवाब

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में गेंहू उत्पादन, खरीद एवं उसकी कीमत की स्थिति के बारे में जानकारी दी। गेहूं के कम उत्पादन और खरीद से संबंधित संसद में केंद्र सरकार से पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने गेहूं की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। सरकार से सवाल किया गया था कि, क्या देश में गेहूं की कमी है ?

गेहूं की कीमत अभी भी MSP से अधिक, 10.64 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान

केंद्रीय कृषि मंत्री का जवाब

संसद में इस सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश में गेहूं का किसी तरह का कोई संकट न होने की बात कही। उन्होंने सदन को बताया कि, गेहूं निर्यात पर रोक लगाए जाने के बावजूद गेहूं की कीमत, न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक बनी हुई है। सदन में प्रस्तुत गेहूं की स्थिति से संबंधित विस्तृत जवाब में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि, देश में गेहूं का कोई संकट नहीं है। उन्होंने बताया कि, देश के कृषक घरेलू जरूरत से अधिक मात्रा में गेहूं की पैदावार कर रहे हैं।



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गर्मी से पड़ा प्रभाव

तोमर ने मार्च के महीने में पड़ी तेज गर्मी के कारण गेहूं के उत्पादन में कमी आने की सदन को जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि, खुले बाजार में ऊंचे दाम मिलने के कारण किसानों ने वहां गेहूं बेचा। इस कारण सरकारी खरीद लक्ष्य के अनुसार पूरी नहीं हो पाई।

गेहूं निर्यात प्रतिबंध

व्यापारियों द्वारा निर्यात के मकसद से किसानों से भारी मात्रा में गेहूं खरीदा जा रहा था। इससे भी सरकारी खरीद प्रक्रिया लक्ष्य प्रभावित हुआ। हालांकि बाद में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई गई।



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जरूरत से अधिक उत्पादन

संसद में केंद्रीय कृषि मंत्री की ओर से प्रदान की गई जानकारी के अनुसार भारत अपनी घरेलू जरूरत से ज्यादा गेहूं का उत्पादन करता है, इसलिए भी देश में गेहूं का कोई संकट नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष ने पूछा था सवाल

केंद्रीय मंत्री तोमर ने राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी प्रदान की।

तीसरा अग्रिम अनुमान

तोमर ने तीसरे अग्रिम अनुमान की भी जानकारी सदन मेंं प्रदान की। कृषि मंत्री के अनुसार साल 2021-22 के दौरान 10.64 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है। यह पिछले पांच सालों (वर्ष 2016-17 से 2020-21) के दौरान उत्पादित गेहूं के औसत उत्पादन (10.38 करोड़ टन) से ज्यादा है। कृषि मंत्री ने बताया कि, देश की समग्र खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और पड़ोसी एवं कमजोर देशों की सहायता करने के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं की निर्यात नीति में आवश्यक संशोधन किए हैं।



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एमएसपी से अधिक कीमत

सदन को दी गई जानकारी में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि, गेहूं की मौजूदा कीमत गेहूं के MSP या न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक है।

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निर्यात से प्रभाव नहीं

गेहूं पर निर्यात संबंधी रोक के बारे में उन्होंने कहा कि, गेहूं पर निर्यात से किसानों की कृषि आय पर किसी तरह का बुरा असर नहीं पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि, गेहूं के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध के बावजूद गेहूं उत्पादक कृषकों को अच्छा एवं लाभकारी मूल्य प्राप्त हो रहा है। गौरतलब है कि देश में समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने एवं पड़ोसी और कमजोर देशों को खाद्य मदद प्रदान करने के लिए भारत की केंद्रीय सरकार ने इस वर्ष 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लागू कर दिया था।

निर्यात विशिष्ट स्थिति में

सदन को दी गई जानकारी के अनुसार गेहूं निर्यात पर रोक कुछ स्थितियों में शिथिल भी की जा सकती है। राज्य सरकारों के अनुरोध एवं केंद्र सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों की पूर्ति के लिए निर्यात की अनुमति दी जाएगी। आपको ज्ञात हो कि, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने रिकॉर्ड 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया।

केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा

केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा

पिछले साल गेहूं की खरीद पर काफी कमी आई थी. जिसके पीछे का कारण घरेलू उत्पादन में गिरावट के साथ साथ ज्यादा निर्यात था. साल 2023 से साल 2024 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11 करोड़ टन से भी ज्यादा की आशंका है. हालांकि यह अनुमान कृषि मंत्रालय के अनुसार लगाया गया है.

केंद्र सरकार ने तय किया लक्ष्य

अप्रैल के महीने में शुरू होने वाले विपणन साल 2023 से 2024 के लिए केंद्र सरकार ने लगभग 341.5 लाख टन
गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि पिछले साल के आंकड़े की बात करें तो यह 187.9 लाख टन ही था. जानकारी के मुताबिक यह लक्ष्य खरीद व्यवस्था पर रचा के लिए राज्यों के खाद्य सचिवों ने निर्धारित किया है.

इन राज्यों में रखा गया खरीद का लक्ष्य

खाद्य मंत्रियों के एक सम्मेलन में इस बैठक का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता खाद्य सचिव सचिव संजीव चोपड़ा ने की थी. इसके अलावा खाद्य मंत्रालय की ओर से एक बयान भी जारी किया गया. जिसमें विपणन साल 2022 से 2023 के लिए गेहूं की कुल खरीद का लक्ष्य अन्य राज्यों के लिए भी रखा गया. जिसमें से मध्य प्रदेश से 20 लाख टन, पंजाब से 25 लाख टन और हरियाणा से करीब 15 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा जाएगा. ये भी देखें: गेहूं की बुवाई हुई पूरी, सरकार ने की तैयारी, 15 मार्च से शुरू होगी खरीद

इस बार रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन का अनुमान

आपको बता दें कि, पिछले साल गेहूं की खरीद में कमी घरेलू उत्पादन में गिरावट और ज्यादा निर्यात की वजह से हुई थी. वहीं बात कृषि मंत्रायल की करें तो, दूसरे अनुमान के मुताबिक फसल साल 2023 से 2024 में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड करीब 11.22 करोड़ टन तक रहने का जताया जा रहा है.

जल्द लागू हो सकती है स्मार्ट पीडीएस

सरकार ने विपणन साल 2022 से 2023 में चावल की खरीद का लक्ष्य भी तय किया है. जिसके मुताबिक चावल की क्रीड 106 टन होनी है. वहीं मोटे अनाजों की क्रीड के लिए इस साल करीब 7.5 लाख टन तक जाने की उम्मीद है. इसके अलावा सभी राज्यों की सरकारों से स्मार्ट पीडीएस को लागू करने की अपील भी सम्मेलन के दौरान की गयी है. खबरों के मुताबिक गेहूं और गेहूं की आटे की लगातार बढ़ती कीमतों को देखते हुए, इन पर लगाम लगाने की कोशिश में एफसी आई ने ई नीलामी के चौथे दौर में करीब 5.40 लाख टन गेहूं की बिक्री की थी. वहीं सरकारी बयानों के मुताबिक अब तक कुल 11.57 लाख टन गेहूं की पेशकश में लगभग 23 राज्यों में एक हजार से ज्यादा दावेदारों को गेहूं बेचा गया, जोकि 5.40 लाख टन था.
दिवाली से पहले ही गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज किया गया

दिवाली से पहले ही गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज किया गया

दिवाली से आने से पूर्व पुनः एक बार फिर से गेहूं महंगा हो चुका है। बतादें, कि इससे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं की कीमत थोक बाजार में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है। ऐसा कहा जा रहा है, कि आगामी दिनों में इसका भाव और बढ़ सकता है। साथ ही, इससे पूर्व जनवरी माह में भी गेहूं की कीमत सातवें आसमान पर पहुँच गई थी। केंद्र सरकार के बहुत सारे प्रयासों के बावजूद भी महंगाई कम ही नहीं हो पा रही है। आलम यह है, कि एक वस्तु सस्ती होती है, तो दूसरी वस्तु महंगी हो जाती है। टमाटर एवं हरी सब्जियों के भाव में गिरावट दर्ज की है। वर्तमान में गेहूं एक बार पुनः महंगा हो गया है। ऐसा बताया जा रहा है, कि त्योहारी सीजन से पूर्व ही गेहूं के भाव 8 माह के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में फूड इन्फ्लेशन बढ़ने की संभावना एक बार पुनः बढ़ गई है। साथ ही, व्यापारियों ने बताया है, कि इंपोर्ट ड्यूटी के कारण विदेशों से खाद्य पदार्थों का आयात प्रभावित हो रहा है। इससे सरकार के ऊपर निर्यात ड्यूटी हटाने को लेकर काफी दबाव बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को महंगाई पर लगाम लगाने के लिए समय-समय पर सरकारी भंडार से भी गेहूं और चावल जैसे खाद्य पदार्थ को जारी करना पड़ रहा है।

गेंहू की कीमत बढ़ने से इन खाद्यान पदार्थों की कीमत भी बढ़ेगी

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, त्योहारी दिनों की वजह से बाजार में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है। वहीं, मांग में बढ़ोतरी से गेहूं की आपूर्ति काफी प्रभावित हो गई है, जिससे कीमतें 8 माह के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं। यदि कीमतों में इजाफे का यह हाल रहा तो, आगामी दिनों में खुदरा महंगाई और भी बढ़ सकती है। गेहूं एक ऐसा अनाज है, जिससे विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं। अगर
गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो रोटी, बिस्कुट, ब्रेड एवं केक समेत विभिन्न खाद्य पदार्थ काफी महंगे हो जाएंगे।

भारत सरकार द्वारा गेहूं पर 40% फीसद इंपोर्ट ड्यूटी

मुख्य बात यह है, कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं के भाव में मंगलवार को 1.6% का इजाफा दर्ज किया गया। इससे गेहूं की कीमत थोक बाजार में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई, जोकि 10 फरवरी के बाद का सर्वोच्च स्तर है। ऐसा बताया जा रहा है, कि विगत छह महीनों के दौरान गेहूं का भाव तकरीबन 22% प्रतिशत बढ़ा हैं। साथ ही, रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने केंद्र सरकार के समक्ष गेहूं के आयात पर से ड्यूटी हटाने की मांग उठाई है। दरअसल, उन्होंने बताया है, कि अगर सरकार गेहूं पर से इंपोर्ट ड्यूटी हटा देती है, तो निश्चित रूप से इसकी कीमत कम हो सकती है। दरअसल, भारत सरकार द्वारा गेहूं पर 40% फीसद आयात ड्यूटी लगाई है, जिसे हटाने को लेकर कोई तत्काल योजना नजर नहीं आ रही है।

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खाद्य पदार्थों की कीमतों में इस तरह गिरावट होगी

साथ ही, 1 अक्टूबर तक सरकारी गेहूं भंडार में केवल 24 मिलियन मीट्रिक टन ही गेहूं का भंडार था। जो पांच वर्ष के औसतन 37.6 मिलियन टन के मुकाबले में बेहद कम है। हालांकि, केंद्र ने फसल सीजन 2023 में किसानों से 26.2 मिलियन टन गेहूं की खरीदारी की है, जो लक्ष्य 34.15 मिलियन टन से कम है। वहीं, केंद्र सरकार का अंदाजा है, कि फसल सीजन 2023-24 में गेहूं उत्पादन 112.74 मिलियन मीट्रिक टन के करीब होगा। इससे खाद्य पदार्थों के भाव में गिरावट आएगी।
आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

उत्तर प्रदेश में आलू का बेहद कम दाम मिलने की वजह से किसानों में काफी आक्रोश है। ऐसी हालत में फिलहाल गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से काफी कम प्राप्त होने पर शाजापुर मंडी के किसान काफी भड़के हुए हैं, उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए परेशानियों पर ध्यान देने की बात कही गई है। आलू के उपरांत फिलहाल यूपी के किसान गेहूं के दाम कम मिलने से परेशान हैं। प्रदेश के किसान गेहूं का कम भाव प्राप्त होने पर राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार से गुस्सा हैं। प्रदेश की शाजापुर कृषि उत्पादन मंडी में उपस्थित किसानों ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन व नारेबाजी की है। किसानों ने बताया है, कि कम भाव मिलने के कारण उनको हानि हो रही है एवं यदि गेहूं के भाव बढ़ाए नहीं गए तो आगे भी इसी तरह धरना-प्रदर्शन चलता रहेगा। कृषि उपज मंडी में जब एक किसान भाई अपना गेहूं बेचने गया, जो 1981 रुपये क्विंटल में बिका। किसान भाई का कहना था, कि केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद भी यहां की मंडी में समर्थन मूल्य की अपेक्षा में काफी कम भाव पर खरीद की जा रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए बताया है, कि सरकार को अपनी आंखें खोलनी होंगी एवं मंडियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया है, कि सरकार किसानों की दिक्कत परेशानियों को समझें। ये भी देखें: केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा आक्रोशित एवं क्रोधित किसानों का नेतृत्व किसानों के संगठन भारतीय किसान संघ के जरिए किया जा रहा है। संगठन का मानना है कि, सरकार को किसानों की मांगों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। खून-पसीना एवं कड़े परिश्रम के उपरांत भी किसानों को उनकी फसल का समुचित भाव नहीं मिल पा रहा है।

आलू किसानों की परिस्थितियाँ काफी खराब हो गई हैं

उत्तर प्रदेश में आलू उत्पादक किसान भाइयो की स्थिति काफी दयनीय है। आलू के दाम में गिरावट आने की वजह से किसान ना कुछ दामों में अपनी फसल बेचने पर मजबूर है। बहुत से आक्रोशित किसान भाइयों ने तो अपनी आलू की फसल को सड़कों पर फेंक कर अपना गुस्सा व्यक्त किया है। ऐसी परिस्थितियों में विरोध का सामना कर रही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 650 रुपये प्रति क्विंटल के मुताबिक आलू खरीदने का एलान किया है। परंतु, किसान इसके उपरांत भी काफी गुस्सा हैं। कुछ किसानों द्वारा आलू को कोल्ड स्टोर में रखना चालू कर दिया है। दामों में सुधार होने पर वो बेचेंगे, परंतु अब कोल्ड स्टोर में भी स्थान की कमी देखी जा रही है। ऐसी स्थितियों के मध्य किसान हताश और निराश हैं।
यूएई ने भारतीय गेंहू व आटे निर्यात पर लगाई 4 माह तक रोक

यूएई ने भारतीय गेंहू व आटे निर्यात पर लगाई 4 माह तक रोक

नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत के गेहूं व आटे निर्यात पर आगामी 4 माह तक रोक लगा दी है। भारत दुनियाभर में दूसरा गेहूं निर्यातक  (wheat export) देश है। निर्यात पाबंदी को 13 मई 2022 से लागू माना जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार वे कंपनियां जो निर्यात करना चाहती हैं वे 13 मई से पहले यूएई में लाए गए गेहूं का निर्यात करने के लिए मंत्रालय के पास आवेदन दे सकती हैं।

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गेहूं उत्पादन में कमी और कीमतों में बेहताशा वृद्धि की वजह से भारत ने गेहूं निर्यात पर 14 मई को ही पाबंदी लगा दी थी। पाबंदी के बाद भी भारत से 4.69 लाख टन गेहूं के शिपमेंट को मंजूरी दी गई थी। भारत और यूएई ने फरवरी में कारोबार और निवेश के मामले में करार किया था। इस करार का उद्देश्य दोनों देशों के बीच कारोबार को पांच साल में सालाना 100 अरब डॉलर तक ले जाने का उद्देश्य रखा गया था। जिसमें सभी तरह के टैरिफ में कटौती का प्रावधान तय किया गया था। वैश्विक बाजार में थम गईं हैं गेहूं की कीमतें - भारत ने बीते 14 मई से गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध  लगा रखा है। बावजूद इसके वैश्विक बाजार में पिछले एक सप्ताह के दौरान गेहूं की कीमतें थमी हुईं हैं। गेहूं के भाव में ज्यादा अंतर देखने को नहीं मिला है। ------ लोकेन्द्र नरवार
देश में गेंहू के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी का क्या कारण है।

देश में गेंहू के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी का क्या कारण है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ विभिन्न राज्यों में अलग अलग फसलों का उत्पादन किया जाता है। उसी प्रकार उत्तर प्रदेश भी गेंहू का एक अच्छा उत्पादक राज्य है। जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गेहूं का भाव 3050 रुपए प्रति क्विंटल है। हालात ऐसे हो गए हैं, कि सबसे बड़े गेंहू उत्पादक राज्य की पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश गुजरात से गेंहू खरीद रहा है। जबकि इसी अनाज का भाव राजस्थान राज्य में 2800 रुपए प्रति क्विंटल है। अगर हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो रूस व यूक्रेन युद्ध की वजह से विभिन्न देशों में गेंहू की खाद्य आपूर्ति काफी प्रभावित हुई है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश, बिहार दिल्ली जैसे राज्यों में गेंहू की कीमत 3000 के पार हो चुकी है। इस वजह से पूर्वी भारत क्षेत्रों में गेंहू की उपलब्धता में कमी देखने को मिली है। केंद्र सरकार द्वारा गेंहू को खुले बाजार में बेचने की योजना जारी करने में ढिलाई बरती है, नतीजतन गेंहू के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना हेतु गेंहू का आवंटन बाधित कर दिया है, जो कि इस समस्या का कारण बना हुआ है।
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गेंहू की उपलब्धता को लेकर उत्तरी सूबा भी काफी समस्याओं से जूझ रहा है। कृषि एगमार्केट द्वारा प्रेषित आकड़ों के अनुरूप 8 जनवरी को गेंहू का भाव 2788 रुपए प्रति क्विंटल हो गया था। विगत वर्ष के तुलनात्मक यह भाव 20 प्रतिशत ज्यादा है। अगर हम उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों की बात करें, तो गेंहू का मूल्य खुदरा बाजार में 31.17 किलो है विगत वर्ष की तुलना में 18.5 फीसद की बढ़त दर्ज हुई है। गेंहू का भाव 2022 के रबी सीजन में निर्धारित एमएसपी 2015 रुपए प्रति क्विंटल होने के बाद निरंतर बढ़े हैं। वर्ष 2023 में एमएसपी 2125 रुपए हो गई है। एक ट्रेड विश्लेषण के तहत गेंहू के साथ चावल की आपूर्ति संबंधित समस्या सामने आयी है। इस वजह से पैदावार के आंकड़ों पर भी शक जाता है। उदाहरण के तौर पर हम देखेंगे कि पश्चिम बंगाल ने अनाज खरीदी का 60 लाख टन अनाज खरीदने का लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद मात्र 20 लाख टन ही गेंहू की खरीद कर पाया है। ट्रेड विशेषज्ञों के अनुसार अनाज के भावों में निरंतर बढ़ोत्तरी साबित कर रही है कि महंगाई दर भी बढ़ रही है। साथ ही, गेहूं की कीमत आगामी उपज तक 3300 रुपये प्रति क्विंटल तक होने के आसार हैं। यही दशा फरवरी माह के समापन या मार्च के आरंभ तक ऐसी ही बनी रहेगी। उस समय तक गुजरात में गेहूं की नवीन पैदावार बाजार में आ चुकी होगी। आरएफएमएफआई के प्रमोद कुमार का कहना है, कि उत्तर प्रदेश एवं बाकी के उत्तरी राज्यों में गेहूं के फसल की आवक मार्च माह के समापन तक आरंभ होगी। इस स्थिति में केंद्र सरकार को अपने भंडारण से ओएमएसएस योजना के अनुरूप अनाज विक्रय किया जा सकता है। गेहूं कारोबारियों के अनुसार केंद्र सरकार खासकर पीएमजीकेएवाई को देखते हुए बाजार पर करीबी नजर बनाए हुए है।
भारत में कम होंगे गेंहू की कीमत, भारत सरकार खुले बाजार में उतारने जा रही गेंहू

भारत में कम होंगे गेंहू की कीमत, भारत सरकार खुले बाजार में उतारने जा रही गेंहू

भारत के अंदर गेहूं व आटे के भाव काफी तीव्रता से बढ़ रहें हैं। आटा 34 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा हो गया है। आटे का भावों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पहल की गयी है। केंद्र सरकार ने बाजार में 30 लाख टन गेहूं उतारने का निर्णय लिया है। अनाज के भाव ज्यादा ना बढ़ें। इस विषय पर केंद्र सरकार निरंतर पहल कर रही है। भारत के अंदर गेहूं का भाव विगत काफी समय से बढ़ा हुआ हैं। इससे देश की आम जनता की रसोई का बजट डगमगा रहा है। साथ ही, केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाया जा रहा है, कि अतिशीघ्र गेहूं के भावों को काबू में लाया जा सके, ताकि आमजन आर्थिक रूप से चिंतित नहीं रहें। केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं का भाव काबू करने हेतु निरंतर पहल की जा रही है। परंतु, फिलहाल वह नाकामयाब साबित माने जा रहे हैं। केंद्र सरकार इसी कड़ी में बड़ा कदम उठाने जा रही है।

खुले बाजार में उपलब्ध कराया जाना है 30 लाख टन गेहूं

गेहूं के भावों का प्रभाव आटे पर निश्चित रूप से पड़ने जा रहा है। गेहूं के भावों में वृद्धि होने के साथ आटे के भाव भी बढ़ते चले गए हैं। परंतु, गेहूं एवं आटे के भाव को राहत पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार बड़ी पहल कर रही हैं। आटे के बढ़ते भावों को रोकने हेतु केंद्र सरकार खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं आवंटित करेगी। जिसके लिए सरकार की तरफ से गठित समिति ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। विशेषज्ञों ने बताया है, कि बाजार में गेहूं की कमी आने से खपत ज्यादा होने की वजह से गेहूं एवं आटें के भाव में वृद्धि देखी गई है।
ये भी देखें: केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना

गेंहू भंडारण FCI ई-ऑक्शन से जारी किया जाएगा

मीडिया से मिली खबरों के मुताबिक, बाजार में गेहूं की उपलब्धता का दायित्व एफसीआई के पास है। ई-ऑक्शन मतलब ई-नीलामी के माध्यम से ओपन मार्केट सेल योजना के अंतर्गत गेहूं बाजार में उपलब्ध किया जाएगा। गेहूं का भंडारण आटा मिलर एवं भारत के बड़े-बड़े थोक खरीदारों को टेंडर के माध्यम से विक्रय किया जाएगा। केंद्र सरकार का प्रयास है, कि बाजार में गेहूं की खपत काफी बढ़ने पर भी मांग में ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हो पाए। इससे गेहूं एवं आटे के भाव में घटोत्तरी देखी जा रही है।

गेहूं 2350 रुपये प्रति क्विंटल तक उपलब्ध कराया जाना है

भारत में गेहूं के भाव को कम करने हेतु राज्य के अतिरिक्त को-ऑपरेटिव एवं सरकारी कंपनियों को भी गेहूं प्रदान किया जाएगा। केंद्र सरकार के स्तर से केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ एवं नाफेड को भी गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा इन्हें बिना टेंडर के 2350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं का विक्रय किया जाएगा।

गेंहू का भाव 34 रुपये से कम होकर 29 रुपए प्रति किलो में बिकेगा अनाज

केंद्र सरकार का प्रयास है, कि किसी भी कीमत पर आमजन की रसोई के अंदर महंगा आटा नहीं पहुँचे। इसी बात को ध्यान में रखकर ओएमएस योजना में एक नई शर्त जारी कर दी गई है। शर्त के मुताबिक, कंपनी अथवा मिलर सरकार के स्तर से गेहूं खरीदेंगे। वह गेहूं से आटा तैयार करें और उनको किसी से भी महँगा आता खरीदने की आवश्यकता नहीं है। फिलहाल खुदरा दाम 29.50 रुपये से अधिक नहीं होगा। स्पष्ट है, कि आम जनता को आटा 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिलेगा। वर्तमान समय में आटे का भाव 34 रुपये से ज्यादा पहुँच गया हैं। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की पहल से आटे का भाव 30 रुपये से भी कम हो गया है।

गेहूं और आटा बाजार में काफी मूल्य पर बेचा जा रहा है

आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में आटे के भाव में 18 फीसद और गेहूं के भाव में 14 फीसद तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। गेहूं का भाव भारत की विभिन्न जगहों पर 29 से 41 रुपये जबकि आटे का भाव 34 से 45 रुपये किलोग्राम तक है। गेहूं भी 3200 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल तक विक्रय किया जा रहा है। गेहूं ही खुले में 32 से 33 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से विक्रय किया जा रहा है। ऐसे में आटे की कीमत बढ़ी हों, तब इसमें कुछ भी हैरान करने वाली बात नहीं है।
एफसीआई के प्रयास से आटे की कीमतों में आई फिर गिरावट

एफसीआई के प्रयास से आटे की कीमतों में आई फिर गिरावट

एफसीआई के जरिए से आटे का भाव लगातार निरंत्रण में किया जा रहा है। अब तक 33 लाख मीट्रिक टन गेंहू का विक्रय किया गया है। नतीजतन फिर से गेंहू के भाव में गिरावट देखने को मिली है। गेहूं और आटे के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा उठाए गए अहम कदमों का प्रभाव फिलहाल भूमि पर देखने को मिल रहा है। इसलिए ही गेहूं की कीमत में कमी हुई है। जानकारों ने बताया है, कि खुदरा बाजार में गेहूं का भाव कम हो गया है। असलियत में जनवरी माह में अचानक गेहूं और आटे का मूल्य काफी हद तक बढ़ा हुआ था। इस वजह से खाद्यान उत्पादों की कीमत काफी महंगी हो गई थीं। ऐसी हालत में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने ई- नीलामी के जरिए खुद बाजार में गेहूं बेचने का निर्णय लिया। ये भी देखें: केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना खबरों के अनुसार, एफसीआई द्वारा 33 लाख मीट्रिक टन गेंहू बेचने की वजह से खुदरा बाजार में गेंहू के भाव में 6 से 8 रुपए किलो की गिरावट आई है। विशेष बात यह है, कि इस बात की पुष्टि स्वयं रोलर मिल फेडरेशन के प्रेसिडेंट एस प्रमोद कुमार द्वारा की गई है। उनका कहना है कि आटे के भाव में आई गिरावट की मुख्य वजह एफसीआई द्वारा बेचा गया गेंहू है। इसके चलते आटा 32 से 35 रुपए किलोग्राम हो गया है।

अचानक जनवरी में गेंहू के बढ़े भाव को एफसीआई ने किया नियंत्रित

आपको याद दिलादें कि जनवरी माह में आकस्मिक गेंहू के भाव में बढ़ोत्तरी हो गई थी। निश्चित रूप से इसकी वजह से आटा के दाम भी खूब बढ़ गए थे। जो आटा 30 से 35 रुपये किलो में बिकता था, उस आटे का भाव 40 से 45 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से हो गया था। इससे आम जनता काफी प्रभावित हुई थी उनके रसोई का बजट खराब हो गया और उनकी थाली से रोटी तक गायब हो गई थी। ऐसी स्थिति में महंगाई की वजह से केंद्र सरकार भी काफी चिंता में पड़ गई। जिसके उपरांत एफसीआई द्वारा गेहूं की ई-नीलामी आरंभ की गई। इससे महंगाई पर रोकथाम लगाई गई है।

इस वर्ष होगी गेंहू की बेहतरीन पैदावार : केंद्र सरकार

केंद्र सरकार का कहना है, कि गर्मी के बढ़ने का गेहूं की फसल पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। फिलहाल, किसान भाइयों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार के अनुमानुसार, इस वर्ष गेहूं की फसल की बेहतरीन पैदावार हो सकती है। सरकार के अनुसार, 108-110 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होने की संभावना है। साथ ही, गेहूं की कीमत एमएसपी से अधिक ही रहने वाली है। साथ ही, आपको बतादें कि मध्य प्रदेश में 25 मार्च से गेहूं की खरीद चालू हो जाएगी। वहीं, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत बाकी राज्यों में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद चालू होनी है। .